tag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post1032163040970360446..comments2023-10-21T20:39:48.010+05:30Comments on महफ़िल-ए-नाशाद: नरेश चन्द्र बोहराhttp://www.blogger.com/profile/02704671927129198311noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-37529456899543686242010-05-22T22:42:04.161+05:302010-05-22T22:42:04.161+05:30desh ki mool atmaa ki abhivykti hai, naresh ji.desh ki mool atmaa ki abhivykti hai, naresh ji.sukirtihttps://www.blogger.com/profile/11280972749769013213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-82206538404761177292010-05-21T07:07:46.205+05:302010-05-21T07:07:46.205+05:30bahut hi sunder sabdh rachna photo dekh kar to doo...bahut hi sunder sabdh rachna photo dekh kar to door bethe hi village ki sondhi mitti ki khusub mahsoos ho rahi h,<br />tarif ke liye sabdh kam ho rahe hmanjul ramdeohttps://www.blogger.com/profile/16537560067058141522noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-89040352847648257392010-05-19T20:51:57.451+05:302010-05-19T20:51:57.451+05:30क्या खूब लिखा है नरेशजी! बहुत ही खूब.क्या खूब लिखा है नरेशजी! बहुत ही खूब.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05403144516979504539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-57577873151782068732010-05-19T20:50:45.893+05:302010-05-19T20:50:45.893+05:30हर शब्द सजीव. गाँव जैसे सामने ही आ गया. बहुत ही ख...हर शब्द सजीव. गाँव जैसे सामने ही आ गया. बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति.Sayani Vyashttp://sayaniv@yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-10284718383675922572010-05-19T20:45:58.799+05:302010-05-19T20:45:58.799+05:30जनाब नाशाद साहब, कभी राजस्था से निकलकर काश्मीर कि ...जनाब नाशाद साहब, कभी राजस्था से निकलकर काश्मीर कि हसीन वादीयों में भी आइये. मेरा मतलब है कि आप एक ग़ज़ल काश्मीर पर भी जरुर लिखें. ये मेरी गुजारिश आप जरुर पूरी करेंगे मुझे पूरी उम्मीद है. इस ग़ज़ल से एक बार फिर आपकी वो पहचान निकलकर आई है जो गाँवों को हमेशा जिंदा रखने में यकीन रखता है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08655564410616177064noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-84273647862885056912010-05-19T20:40:37.384+05:302010-05-19T20:40:37.384+05:30बेहद सुन्दर और खुद-ब-खुद बोलने वाले शब्द.बेहद सुन्दर और खुद-ब-खुद बोलने वाले शब्द.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02617627671667788622noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-51428327653806101172010-05-19T19:20:41.307+05:302010-05-19T19:20:41.307+05:30एकदम से गाँव की तरफ खींच कर ले जाने वाली ग़ज़ल. ना...एकदम से गाँव की तरफ खींच कर ले जाने वाली ग़ज़ल. नाशादजी; बहुत अच्छा लगा यह ग़ज़ल पढ़कर.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11885498636420272831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-11502470049845027282010-05-19T17:18:09.610+05:302010-05-19T17:18:09.610+05:30वो जो पीपल जिसके साए में गुजरती थी हर दोपहर
चलो आज...वो जो पीपल जिसके साए में गुजरती थी हर दोपहर<br />चलो आज फ़िर उसी पीपल की छाँव में बैठा जाए""<br />बेहद शानदार.<br />बहुत सारी शुभ कामनाएं.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00375998643494544419noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-69729147846258285742010-05-19T14:57:15.045+05:302010-05-19T14:57:15.045+05:30इतनी सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद नरेशजी. आपकी लिखाव...इतनी सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद नरेशजी. आपकी लिखावट में बहुत दर्द है हमारे गाँवों के लिए.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11319788561526388195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-106000583870589522010-05-19T14:55:26.433+05:302010-05-19T14:55:26.433+05:30एक बिलकुल अलग तरह की ग़ज़ल. गाँव की ओर फिर से लौटन...एक बिलकुल अलग तरह की ग़ज़ल. गाँव की ओर फिर से लौटने का जज्बा बहुत अच्छा लगा.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06913125769513875554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-43535739938313572782010-05-19T14:49:51.671+05:302010-05-19T14:49:51.671+05:30सुन्दर प्रस्तुति. गाँव का बहुत ही सजीव और सुन्दर च...सुन्दर प्रस्तुति. गाँव का बहुत ही सजीव और सुन्दर चित्रण. शब्दों के साथ चित्रों का चयन हमेशा बहुत अच्छा रहता है और बहुत ही अच्छा लगता है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06209622014401950566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-87161217205799729202010-05-19T14:46:55.532+05:302010-05-19T14:46:55.532+05:30सर, गाँव पर आप की लिखी हुई हर ग़ज़ल और कविता बहुत ...सर, गाँव पर आप की लिखी हुई हर ग़ज़ल और कविता बहुत ही शानदार होती है. हमें उससे बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता है. हमारी हार्दिक शुभ-कामनाएं स्वीकरें.Koel Kapoorhttp://koelkapoor@yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-41893831801460346342010-05-19T12:40:57.729+05:302010-05-19T12:40:57.729+05:30बेहतरीन रचना, गाँव की याद आ गई. बहूत खूब!
मेरी...बेहतरीन रचना, गाँव की याद आ गई. बहूत खूब! <br /><br /><br /><br />मेरी रचना "नानी का आंगन" अवश्य पढ़ें.<br />http://premras.blogspot.comShah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-88861725638488703392010-05-19T10:56:02.168+05:302010-05-19T10:56:02.168+05:30"वो जो पीपल जिसके साए में गुजरती थी हर दोपहर
..."वो जो पीपल जिसके साए में गुजरती थी हर दोपहर<br />चलो आज फ़िर उसी पीपल की छाँव में बैठा जाए""<br />बेहद शानदार. कुछ भी लिखूं शायद कम लगेगा मुझे.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02143045088857665662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-76367052359081133162010-05-19T10:54:45.354+05:302010-05-19T10:54:45.354+05:30बोहराजी, कमाल का दर्द और प्रेम है आपके दिल में राज...बोहराजी, कमाल का दर्द और प्रेम है आपके दिल में राजस्थान के लिए. ग़ज़ल तो अच्छी है ही ; फोटो तो और भी बढ़िया है. सोने पे सुहागा.Shakti Paal Singh Rathorehttp://sops@yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-89749861092400432432010-05-19T10:52:44.312+05:302010-05-19T10:52:44.312+05:30शुक्रिया इस ग़ज़ल के लिए.हमारा देश गाँवों का देश ह...शुक्रिया इस ग़ज़ल के लिए.हमारा देश गाँवों का देश है.असली जिंदगी गाँव में है और गाँव हमारे दिलों में हैं. आपके दिल में कुछ ज्यादा है. ये आज की ग़ज़ल ने दिखाया है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10454205802603851296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-43254168198438424832010-05-19T10:51:10.766+05:302010-05-19T10:51:10.766+05:30खूब बहुत खूब और बहुत ही खूब. नरेशजी; जवाब नहीं आज ...खूब बहुत खूब और बहुत ही खूब. नरेशजी; जवाब नहीं आज की ग़ज़ल का.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/09293227777608620862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-71106441171621838262010-05-19T10:50:05.647+05:302010-05-19T10:50:05.647+05:30वो जो बचपन का साथी हर खेल में जिससे होता था झगडा
...वो जो बचपन का साथी हर खेल में जिससे होता था झगडा <br />चलो आज चलकर उससे गले मिलकर रोया जाए<br />भाईसा, आज इन पंक्तियों ने मेरी आँखें भिगो दी. दिल को कुछ कमी महसूस होने लगी कि आखिर गाँव कितना प्यारा होता है और हम शहर में धूल फांक रहे हैं. बहुत सारी शुभ कामनाएं.Priamwada Kanwar Sisodiahttp://priyamwadakanwar@tahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-70687656453271171352010-05-19T10:46:48.085+05:302010-05-19T10:46:48.085+05:30आज तो कमाल हो गया. मैं कुछ लिखूं ये कम लगेगा. बेहत...आज तो कमाल हो गया. मैं कुछ लिखूं ये कम लगेगा. बेहतरीन है. शब्दों और चित्रों के मिश्रण ने गाँव का माहौल हमें घर बैठे ही दिखा दिया.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00998868493773725642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-6362186747171663962010-05-19T10:44:41.516+05:302010-05-19T10:44:41.516+05:30इससे पहले भी आपकी गाँव पर कई रचनाएं पढ़ी है नरेशजी;...इससे पहले भी आपकी गाँव पर कई रचनाएं पढ़ी है नरेशजी; लेकिन इस रचना ने तो हमें गाँव पहुँच ही दिया. सही है आज की भागदौड़ की जिंदगी में गाँव का माहौल ही हमें मन और तन की शांति दे सकता है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12573639224070966302noreply@blogger.com