tag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post4143804398931503634..comments2023-10-21T20:39:48.010+05:30Comments on महफ़िल-ए-नाशाद: नरेश चन्द्र बोहराhttp://www.blogger.com/profile/02704671927129198311noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-163394964992398375.post-38433659480913370462010-04-07T17:48:47.711+05:302010-04-07T17:48:47.711+05:30क्या बात है नरेशजी ! मीरा के चरित्र को आपने इतनी अ...क्या बात है नरेशजी ! मीरा के चरित्र को आपने इतनी अच्छी तरह से समझा और फिर श्याम को उलाहना प्रीतम के माध्यम से. क्या कल्पना की है ! बहुत ही सुन्दर ! क्या प्रवाह है !!!!<br /><br />हर सांस तेरे नाम की ली मैंने<br />हर ख्वाब तेरा ही देखा मैंने<br />ओढ़ के तेरे नाम की चुनर साजन<br />मैं तो दीवानी हो गई<br />तुम ना कभी बन सके श्याम साजन पर<br />मैं तो मीरा हो गई<br /><br />यह हिस्सा तो इस रचना की जान है. कभी राधा पर भी लिखिएगा. मुझे पूरा विश्वास है आप के मन में राधाजी का भी ख़याल ज़रूर आया होगा. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12452849453391502819noreply@blogger.com