सोमवार, 16 नवंबर 2009
लौट कर आऊँगा
अगर चला गया हूँ तो लौट कर भी आऊँगा
तुम मेरी राहों में नज़रें बिछाकर देखना
ना भूला सकोगे मुझे तुम उम्र भर
मुझे अपनी यादों में बसाकर देखना
हर दरीचे में नज़र आएगा चेहरा मेरा
हर बंद दरीचे को तुम खुलाकर देखना
जब भी खडा पाओ किसी दोराहे तुम खुद को
चला आऊँगा तुम्हें राह दिखलाने
मुझे आवाज़ लगाकर देखना
जिस्म से दूर हो गया हूँ तो क्या
रूह में तुम्हारी समां चुका हूँ मैं
हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूँगा
हर जनम में मैं तुम्हें मिलूंगा
मेरा इंतज़ार कर के देखना
महसूस करोगे अपनी हर सांस में तुम सभी
अपने दिल की धडकनों को सुन कर देखना
फिर जनम लेंगे हम
हर जनम मिलेंगे हम
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