मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010
साँसों की कमी लगे है
मंजिल है सामने मगर रास्तों की कमी लगे है
जिंदगी बाकी है मगर साँसों की कमी लगे है
दोस्त तो बहुत है हमारे मगर दुश्मनों की कमी लगे है
दुःख है ज़माने में बहुत मगर खुशीयों की कमी लगे है
बस्तियां तो बहुत है मगर इंसानों की कमी लगे है
हर नाता झूठा है यहाँ सच्चाईयों की कमी लगे है
किसी का दूर जाना भी अब तो करीब आना लगे है
मोहब्बतें बिखरी है यहाँ वहां तलाशों की कमी लगे है
दुआएं करता है हर कोई यहाँ मगर असर की कमी लगे है
महफ़िल में है कई सुखनवर मगर नाशाद की कमी लगे है
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