तुम ना थे
बहार थी; फूल थे, महक थी
तुम ना थे
गलीयाँ थी; मोड़ थे , इंतज़ार था
तुम ना थे
शाम थी ; यादें थी , तनहाइयाँ थी
तुम ना थे
महफ़िल थी ; किस्से थे , ज़िक्र था
तुम ना थे
जुदाई थी ; तड़प थी , दुआएं थीं
तुम ना थे
ख़याल थे ; नींद थी , ख्वाब थे
तुम ना थे
राहें थी ; राही थे , मंजिलें थी
तुम ना थे
दिल था ; आरज़ू थी , उम्मीद थी
तुम ना थे
शेर थे ; ग़ज़ल थी , नाशाद था
तुम ना थे
बस सिर्फ तुम ना थे
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
हाँ यह घर मेरा है
हर एक कोना कुछ कहता है
छत पुरानी शामें याद कराती है
कमरे बा बाऊजी की आवाजें सुनाती है
सीढीयाँ पापा की पदचाप सुनाती है
यहाँ यादों का बसेरा है
जहाँ बीता बचपन मेरा है
हाँ यह घर मेरा है
जहाँ आंधीयां खुशबू लेकर आती है
सुबहें भोर राग सुनाती है
दोपहरें सन्नाटों में गुनगुनाती है
शामें अपनों की महफिलें सजाती है
रातें लोरीयाँ सुनाती है
यहाँ मेरे सभी पुरखों का बसेरा है
हाँ यह घर मेरा है
आरज़ू है हर शाम यहीं बीते
ज़िन्दगी की शाम भी यहीं ढले
हर जनम यहीं मिले
हम सभी हर जनम में यहीं मिले
हर एक कोना कुछ कहता है
छत पुरानी शामें याद कराती है
कमरे बा बाऊजी की आवाजें सुनाती है
सीढीयाँ पापा की पदचाप सुनाती है
यहाँ यादों का बसेरा है
जहाँ बीता बचपन मेरा है
हाँ यह घर मेरा है
जहाँ आंधीयां खुशबू लेकर आती है
सुबहें भोर राग सुनाती है
दोपहरें सन्नाटों में गुनगुनाती है
शामें अपनों की महफिलें सजाती है
रातें लोरीयाँ सुनाती है
यहाँ मेरे सभी पुरखों का बसेरा है
हाँ यह घर मेरा है
आरज़ू है हर शाम यहीं बीते
ज़िन्दगी की शाम भी यहीं ढले
हर जनम यहीं मिले
हम सभी हर जनम में यहीं मिले
यहाँ मेरी रूह का बसेरा है
हाँ यह घर मेरा है
हाँ यह घर मेरा है
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