तलाशती है आँखें
बीते लम्हे भूली बिसरी यादें
यही सब तलाशती है आँखें
अपनों की भीड़ में अक्सर
ख़ुद को तलाशती है ऑंखें
खुशीयाँ तलाशती है आँखें
तन्हाईयों खामोशियों में
आवाजें तलाशती है आँखें
हर बेगाने चेहरे में
अपनों को तलाशती है आँखें
बंद पड़े उस दरीचे में
किसी को तलाशती है आँखें
सूनी हो चुकी गलियों में
बिछुडे यार तलाशती है आँखें
हैवानों की इस दुनिया में
इंसान तलाशती है ऑंखें
दम तोड़ती हुई जिंदगी में
साँसें तलाशती है आँखें
टूटते हुए सभी रिश्तों में
करीबीयाँ तलाशती है आँखें
शाम ए ग़ज़ल है यारों