रविवार, 6 जून 2010

जुदा कर सकता नहीं

जिस्म को जान से  जुदा कर सकता नहीं
तेरी याद को खुद से जुदा कर सकता नहीं

मंजिल को राहों से  जुदा  कर सकता नहीं
तेरी गलीयों से राह अपनी बदल सकता नहीं

साये को खुद से जुदा कर सकता नहीं
तेरी तस्वीर को आँखों से हटा सकता नहीं

दिल को दर्द से  जुदा कर सकता नहीं
तेरे लिखे खतों को मैं जला सकता नहीं

सावन को घटाओं से जुदा कर सकता नहीं
तेरे नाम को अपने से जुदा कर सकता नहीं

खुद को भुला सकता हूँ मगर तुम्हे भुला सकता नहीं
अपने इश्क का कोई और वास्ता मैं दे सकता नहीं