सोमवार, 15 मार्च 2010

गुढी पाढवा : भारत का राष्ट्रीय नव वर्ष 

गुढी पढवा भारतीय नव वर्ष घोषित किया जाना चाहिए . भारत के अधिकाँश हिस्सों में इसी दिन से नया साल आरम्भ हुआ माना जाता है . हम लोग १ जनवरी को नया साल मनाते हैं जो कि  अंतर्राष्ट्रीय नव वर्ष है . हमारा भारत  एक विशाल और समृद्ध देश है . इसका इतिहास सबसे पुराना है . ये एक बड़े खेद की बात है कि  हमारे देश का राष्ट्रीय नव वर्ष कोई नहीं है . ये बात अलग है कि हमारे  भिन्न भिन्न राज्यों में भिन्न भिन्न दिन नया साल मनाया जाता है लेकिन राष्ट्रीय नया साल तो गुढी पडवा के दिन मनाया जा ही सकता है . हमारे पुराणों में भी इस बात के स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि चैत्र माह की पहली तिथि से नया साल आरम्भ होता है .इस दिन से नौ दिनों तक नवरात्र मनाया जाता है .




इस बात पर सहमति बनाई जाये और गुडी पाढवा को भारतीय नव वर्ष दिन घोषित किया जाए.


हाथ की ये लकीरें 

कहीं लेकर नहीं जाती है  हमारी हाथ की ये लकीरें
किस्मत  नहीं संवारती  है  कभी हाथ की ये लकीरें

खुद ही खोज लो अपनी मंजिल  अगर पाना है
कभी राह  नहीं बतलाती है  हाथ की ये लकीरें

कभी ना समझ लेना इन्हें तुम अपनी तकदीरें
खुद ही आपस में उलझी है हाथ की ये लकीरें

सपनों  को तोडती है  इरादों  को झकझोरती है
भावनाओं से अक्सर खेलती है हाथ की ये लकीरें

ख़्वाबों में ही रहती है ये हकीकत नहीं बनती कभी
हाथ मलने को मजबूर करती है हाथ की ये लकीरें

ना कभी करना ऐतबार ना बांधना कभी तुम उम्मीदें
"नाशाद"  तुम्हें कर देगी  बरबाद हाथ की ये लकीरें