मंगलवार, 24 जुलाई 2012


यादों के दरख़्त  अब  कितने बड़े हो गए 
हकीकतों के साये भी उनसे छोटे हो गए 

निगाहों में थे जो  हमारे  तमाम  जिंदगी 
एक एक कर वो आसमां के सितारे हो गए 

किस किस की याद में आंसू बहायें ऐ खुदा 
दरिया की तरह बह अश्क भी सहरा हो गए

जो थे शामिल अभी तक मेरे कारवां में नाशाद 
एक एक कर सभी मेरी यादों का हिस्सा हो गए 

= नरेश नाशाद