शुक्रवार, 4 जून 2010
मौहब्बत ये क्या रंग लाई है देखो
मौहब्बत ये क्या रंग लाई है देखो
हर सिम्त तुम ही नज़र आते हो देखो
ख़त तो लिखा था हमने तुम्हे मगर
लिफाफे पर अपना ही पता लिख दिया है देखो
तुम्हारे चेहरे से नज़र नहीं हटती मगर
अब तुम्हारी तस्वीर से शरमा रही हूँ देखो
हर वक्त जुबां पर रहता था नाम तुम्हारा मगर
अब कहते हुए तुम्हारा नाम जुबां काँप रही है देखो
हर रोज़ तेरा नाम ऊंगलीयाँ लिखती थी मगर
अब लिखते हुए नाम तुम्हारा ऊंगलीयाँ काँप रही है देखो
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