और कुछ याद नहीं
तेरी गलीयाँ तेरी महफ़िल
बस और मुझे कुछ याद नहीं
एक बस तू एक बस मैं
बस और मुझे कुछ याद नहीं
चाहा तुझे और पूजा तुझे
अब जीवन मेरा बरबाद नहीं
चाहे तू मिले या ना मिले
अब खुदा से कोई फ़रियाद नहीं
हकीकत में नहीं तो ख़्वाबों में आ
वर्ना जिंदगी मेरी आबाद नहीं
चाहूं जिसे और मुझे मिल जाए
ना पूरी हुई मेरी कोई मुराद नहीं
जाकर मांग लूं खुदा से तुझे
हुई ऐसी कोई तरकीब ईजाद नहीं
तेरे इश्क में हम घरबार भुला दें
ऐसे भी हम "नाशाद" नहीं
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010
ये कैसी मौहब्बत है
ये कैसी मौहब्बत है जहाँ इज़हार करना मना है
ये कैसी तन्हाइयां है जहाँ यादों का आना मना है
ये कैसी नींद है जिसमे यादों का आना मना है
ये कैसे ख्वाब है जिनमे किसी का आना मना है
ये कैसा जहाँ है जिसमे ग़मों पर आंसू बहाना मना है
ये कैसा वक़्त है जहाँ हमें खुशीयाँ तलाशना मना है
ये कैसी बहारें है जिनमे गुलों का भी खिलना मना है
ये कैसा जहाँ है जिसमे दो दिलों का मिलना मना है
ये कैसा सावन है जिनमे बादलों का बरसना मना है
ये कैसी महफ़िल है जिसमे "नाशाद" का आना मना है
ये कैसी मौहब्बत है जहाँ इज़हार करना मना है
ये कैसी तन्हाइयां है जहाँ यादों का आना मना है
ये कैसी नींद है जिसमे यादों का आना मना है
ये कैसे ख्वाब है जिनमे किसी का आना मना है
ये कैसा जहाँ है जिसमे ग़मों पर आंसू बहाना मना है
ये कैसा वक़्त है जहाँ हमें खुशीयाँ तलाशना मना है
ये कैसी बहारें है जिनमे गुलों का भी खिलना मना है
ये कैसा जहाँ है जिसमे दो दिलों का मिलना मना है
ये कैसा सावन है जिनमे बादलों का बरसना मना है
ये कैसी महफ़िल है जिसमे "नाशाद" का आना मना है
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