कभी तुम भी थे मेरे अपने
कभी तुमने भी हमें बहुत चाहा था
कभी हमारा भी रास्ता निहारा था
कभी तुमने भी देखे थे ख्वाब मेरे
कुछ दिन ही सही चले थे साथ मेरे
कभी तुमने भी थामा था हाथ मेरा
कभी तुमने भी संवारा था मुकद्दर मेरा
कभी तुम भी तड़पते थे मेरी याद में
कभी हम भी शामिल थे तेरी फ़रियाद में
कभी तुम भी आए थे महफ़िल में मेरे
कभी तुमने भी सराहे थे अशआर मेरे
कभी तुम भी तो हुए थे मेरे अपने
अब तो वो रह गए हैं फ़कत सपने
नाशाद जिनके देखे थे ख्वाब हमने
हकीकत में ना हो सके मेरे अपने
सोमवार, 16 अगस्त 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)