लम्हे
वो लम्हे जब वक्त भी ठहर गया था
नाशाद अलविदा जब तुमने कहा था
इस जुदाई से चाँद भी हिल गया था
बादलों के बीच वो भी छुप गया था
खामोशी ही कर रही थी बातें मुझ से
तुमने तो कह अलविदा सब कह दिया था
उस मोड़ पर तुम राह बदल चले गए थे
वो लम्हे जब वक्त भी ठहर गया था
नाशाद अलविदा जब तुमने कहा था
इस जुदाई से चाँद भी हिल गया था
बादलों के बीच वो भी छुप गया था
खामोशी ही कर रही थी बातें मुझ से
तुमने तो कह अलविदा सब कह दिया था
उस मोड़ पर तुम राह बदल चले गए थे
सफ़र में मुझे तनहा छोड़ गए थे
मुझे अब भी याद है वो लम्हे वो मोड़
मैं ये सोच रहा था ये राह कहाँ तक है
मंजिल का सफ़र अब क़यामत तक है
वो लम्हे बर्फ की तरह जम गए थे
मंजिल का सफ़र अब क़यामत तक है
वो लम्हे बर्फ की तरह जम गए थे
आँखों के आंसू भी जैसे वहीँ थम गए थे
मुझे अब भी याद है वो लम्हे वो मोड़
जहाँ हम आखिरी बार मिले थे
सोचता हूँ जुदाई ही ज़रिया था मिलने का
हम चलते रहे थे दरिया के दो किनारों जैसे
साथ साथ मगर इक दूजे से जुदा जुदा
मिलकर समंदर में ही शायद हम मिल सकें
नाशाद तब ही हम साथ साथ चल सकें