मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

मेरी तरह चाहेगा कौन 

दूसरों की महफिलों में जानेवाले
मेरी नज़रों से तुम्हें देखेगा कौन

किसी और को दिल में बसाने वाले
मेरी  तरह से  तुझे  चाहेगा कौन

मुझ से बेखबर होकर सोनेवाले
मेरी तरह ख्वाबों में आयेगा कौन

मिल जायेंगे तुम्हें कई हमसफ़र लेकिन
मेरी तरह राहों में फूल बिछाएगा कौन

हर तरफ मौहब्बत के दुश्मन है फैले हुए
ज़माने की नज़रों से तुम्हें बचाएगा कौन

अनजाने लोग है  फरेब है हर मोड़ पर
ऐसे सफ़र में सही राह दिखायेगा कौन

आयेंगे तेरी महफिलों में सुखनवर बहुत अच्छे
"नाशाद"  की तरह लेकिन ग़ज़ल  पढ़ेगा कौन