मेरी तरह चाहेगा कौन
दूसरों की महफिलों में जानेवाले
मेरी नज़रों से तुम्हें देखेगा कौन
किसी और को दिल में बसाने वाले
मेरी तरह से तुझे चाहेगा कौन
मुझ से बेखबर होकर सोनेवाले
मेरी तरह ख्वाबों में आयेगा कौन
मिल जायेंगे तुम्हें कई हमसफ़र लेकिन
मेरी तरह राहों में फूल बिछाएगा कौन
हर तरफ मौहब्बत के दुश्मन है फैले हुए
ज़माने की नज़रों से तुम्हें बचाएगा कौन
अनजाने लोग है फरेब है हर मोड़ पर
ऐसे सफ़र में सही राह दिखायेगा कौन
आयेंगे तेरी महफिलों में सुखनवर बहुत अच्छे
"नाशाद" की तरह लेकिन ग़ज़ल पढ़ेगा कौन
मंगलवार, 13 अप्रैल 2010
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