रविवार, 25 जुलाई 2010

















इश्क इबादत है खुदा की

इश्क इबादत है खुदा की बस इश्क ही इश्क कीजै
ता उम्र नाशाद  बस इश्क ही लीजै  इश्क ही दीजै

हर दिल में है नफ़रत  परेशां है हर शख्स यहाँ
हर शख्स को यहाँ बस पैगाम-ए-इश्क ही दीजै

ना जाने कब कोई हम से बेसाख्ता दूर हो जाए
जब भी मिले कोई तो उसे सलाम-ए-इश्क दीजै

बहुत हुए जुदाई के किस्से; टूटे दिल औ' हिज्र की बातें
सजाइये अपनों की महफ़िल औ' इश्क की बातें कीजै

चार दिनों की जिंदगी है  आरजुओं में कहीं  निकल ना जाए
खोजिये कोई हमखयाल औ' दिल पर उसके इश्क लिख दीजै

सफ़र जिंदगी का नहीं आसां कब तक चलोगे अकेले तुम
करिए किसी से सच्चा इश्क औ' साथ उसे अपने ले लीजै

नफरतें फैलाओगे तो नहीं रखेगा ये जहां तुम्हें याद
फैलाइये हर सू इश्क औ' जहाँ में अपना नाम कर लीजै

पढ़े होंगे कई सुखनवर और भी कई जहाँ में मिल जायेंगे
महफ़िल खूब जम जायेगी यारों बस नाशाद को बुला लीजै

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

मैं जैसे महक गया हूँ


तेरी आँखों में
तेरी मुस्कानों में
मैं जैसे खो गया हूँ


तेरी जुल्फों में
तेरी बातों में
मैं जैसे उलझ गया हूँ


तेरे वादों से
तेरे ईरादों से
मैं जैसे बहक गया हूँ


तेरी गलीयों में
तेरी महफिलों में
मैं जैसे भटक गया हूँ


तेरी तस्वीर से
तेरी याद से
मैं जैसे महक गया हूँ
मैं जैसे महक गया हूँ

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मौहब्बत  

मौहब्बत आसां नहीं तो मुश्किल भी नहीं होती है
नाशाद लेकिन ये सबके नसीब में भी नहीं होती है

ख्वाब चाहे जितने भी आप महबूब के देख लो मगर
सभी की किस्मत में ख्वाबों की ताबीर नहीं होती है

जुदाई के बाद मिलन की बात ही कुछ और होती है
सब की किस्मत में लेकिन ऐसी जुदाई नहीं होती है

चाहे कोई लाख छुपाये अपनी मौहब्बत की बात को
आँखों की हया होंठों की मुस्कान से ये बयाँ होती है

ना बातों से ना ही खतों से ये कभी महसूस होती है
ये दिल से दिल की बात है दिल ही से महसूस होती है

चाहे कोई लाख बचाए खुद को मौहब्बत के असर से
नाशाद ये मौहब्बत है एक बार तो होकर ही रहती है

सोमवार, 5 जुलाई 2010

                                 तेरी ज़ुल्फें



बन कर घटाएं कभी बरसती  हैं
बन कर हवाएं कभी लहराती हैं
तेरी ज़ुल्फें

बन कर नागिन कभी डसती हैं
बन कर खुशबु कभी महकती है
तेरी ज़ुल्फें

बन कर नशा ये मदहोश कर देती हैं
बन कर साया ये आगोश में लेती हैं
तेरी ज़ुल्फें

बन कर तूफां ये दिल को हिला देती हैं
बन कर अदा ये  ईमां डगमगा देती हैं
तेरी ज़ुल्फें

बिखर कर गालों पर कातिल बन जाती हैं
लहरा कर कांधों पर  घायल कर देती हैं
तेरी ज़ुल्फें

रविवार, 4 जुलाई 2010

                           याद को विदा कर आया 


याद को तुम्हारी मैं आज विदा कर आया
तेरी यादों को मैं गंगा किनारे भुला आया


तेरे लिखे खतों  को मैं आज जला  आया
तेरे वादों को ताज के सामने भुला  आया


तेरी तस्वीर को आज हवाओं में उड़ा आया
तेरी मुस्कान को मैं  फूलों को लौटा आया 


तेरी चाहत को मैं पैमाने में मिला आया 
तेरी आहट को मैं वीरानों में छोड़  आया


अब ना सजेगी कभी तेरी महफ़िल ए सनम
"नाशाद" शम्मां-ए-महफ़िल ही बुझा आया 

शनिवार, 3 जुलाई 2010

















बरखा की ऋतु  

बरखा की ऋतु आई है सजनिया
याद  तेरी संग लाई है सजनिया

जब जब तन पर पड़े पानी की बुंदिया
यूँ लगे जैसे तूने  हो  मुझे छु  लिया

ठंडी हवा जब जब है शोर मचाती
यूँ लगे तू आई है पायल छनकाती

नदिया जब जब है कल कल बहती
तेरी बातें हैं मुझे याद तब तब आती

दूर कहीं जब बोलती है कोयलिया
यूँ लगे जैसे तूने हो मेरा नाम लिया

यूँही ना चली जाए बरखा ओ सजनिया
अब तुम बिन ना रहा जाए ओ सजनिया

गुरुवार, 1 जुलाई 2010



















जब से तुम से इश्क हुआ है 

जब से तुम से इश्क हुआ है
हर गली में मेरा चर्चा हुआ है
जब भी कहीं से गुजरता हूँ मैं
लिए तस्वीर तेरी हाथ में
कहते हैं सभी लो फिर रांझा आया है

खुद से ही करता हूँ बातें
तारे गिन काटता हूँ रातें
अब से मेरा एक एक पल
बस तेरे ही नाम हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है

तुझ को ही खुदा मानता हूँ
तुझ से ही तुझ को माँगता हूँ
तेरे आगे करता हूँ सजदा
तेरे घर के आगे सर झुका हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है

दिल ये कहे तुझे कहीं ले जाऊं
चाँद सितारों की  सैर कराऊं
लेकिन कैसे कहूँ दिल की बातें
ना जाने कब होगी ऐसी मुलाकातें
अब दिल तेरे ही सपनों में खोया हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है

हर दिन सूना सूना लगता था
हर घडी उदास मैं रहता था
जब तुम ना थे तो मैं था अधुरा
तुझसे ही मेरा जीवन पूरा हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है

कसम है तुम्हें ना मुझे ठुकराना
मेरे सिवा किसे भी ना अपनाना
सुन लो जानम तुम मेरी ये बात
सारा जग छोड़ ये जोगी तेरे संग हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है
जब से तुम से इश्क हुआ है