हर तरफ तनहाई
मेरे हिस्से में आई
तेरी यादों की धूप खिली
तो मेरी आँख भर आई
फिर तेरी तस्वीर देखी
फिर तेरी आवाज़ आई
ख़ुशी की धूप खिली ही थी
ग़मों की शाम ढल आई
भीड़ भरे इस जहाँ में
नाशाद रहे सहराई
= नरेश नाशाद
( सहराई - वीराने में रहनेवाले )