सोमवार, 29 मार्च 2010

ना जाने तुम कौन हो 

ना जाने तुम कौन हो
जो इस तरह मेरे दिल में समां गए हो
जो इस तरह मेरी दुनिया बदल गए हो

ना जाने तुम कौन हो
जो मेरी  साँसों को  महका  गए  हो
जो मेरी आँखों में आकर बस गए हो

ना जाने तुम कौन हो
जो मेरे होठों को  एक  नई मुस्कान दे गए हो
जो मेरे गालों की लालिमा को और बढा गए हो 

ना जाने तुम कौन हो
जो फागुन के रंगों को और भी रंगीन कर गए हो
जो पतझड़ में भी हर तरफ बहारें लेकर आये हो

ना जाने तुम कौन हो
जो मुझे अब  हर तरफ  नज़र आने लगे हो
जो मुझे ख्वाबों में भी आकर सताने लगे हो

ना जाने तुम कौन हो
जो अब  मुझ को  मुझ ही से  छीन रहे हो
जो ना जाने किस बंधन में मुझे बाँध रहे हो 

ना जाने तुम कौन हो
ना जाने तुम कौन हो




















कजरारी आँखों वाली लडकी 


वो कजरारी आँखों वाली लड़की 
अब भी मुझे याद आती है 
उसकी कभी ना ख़त्म होनेवाली बातें 
अब भी मुझे याद आती है 


मैं चाहे सुनूँ ना सुनूँ 
वो अपनी हर बात बताती थी 
मैं चाहे मानूँ ना मानूँ
वो हर बात पर सलाह देती थी 


मैं जब भी छत पर पढने जाता था 
वो कंकर फेंक कर सताती थी 
मैं जब भी गहरी सोच में होता था 
उसे मेरी चिंता सताती थी 


जब भी मेरे इम्तिहान नज़दीक आते थे 
वो मेरे लिए रोज़ दुआएं मांगती थी 
जब भी देखती थी मेरा खिला चेहरा 
उसके चेहरे पर भी चमक आ जाती थी 


जब मैं वापस लौट रहा था 
उसका चेहरा मुरझाया हुआ था 
उसकी कजरारी आँखें नाम थी 
उसके कदम लडखडा रहे थे 
वो कुछ कहना चाह रही थी 
मगर उसकी बेहिसाब सिसकीयाँ 
उसे शायद रोक रही थी


मैं  वापस घर लौट आया 
मगर आज तक उसे भुला नहीं पाया 


उसकी सिसकीयाँ आज भी मुझे सुनाई देती है 
उसकी आवाज़  आज  भी  मुझे सुनाई देती है


उसकी  हंसी मुझे हर वक़्त सुकून देती थी 
उसकी बातें मुझमे नया जोश भर देती थी 


मैं उसे शायद समझ नहीं पाया 
मैं उसकी आँखों को पढ़ नहीं पाया 
उसके दिल की बात जान नहीं पाया 


वो क्यों मुझे देख खुश हो जाती थी 
वो क्यों मेरे लिए दुआएं मांगती थी 
वो क्यों मेरी हर ख़ुशी में शामिल हो जाती थी 


कहते हैं मोहल्ले के लोग 
वो मुझसे प्यार करती थी
मुझसे  बे इन्तेहा मौहब्बत करती थी 


आज लग रहा है मुझे 
वो शायद मुझसे प्यार करती थी 
हाँ वो मुझसे प्यार करती थी 
वो कजरारी आँखों वाली लड़की 
मुझसे प्यार करती थी