रविवार, 28 फ़रवरी 2010

तलाशती है आँखें 

बीते हुए लम्हे; भूली बिसरी यादें
यही सब तलाशती है आँखें

अपनों की भीड़ में अक्सर
खुद को तलाशती है आँखें

दुनिया भर के खराबों में
खुशीयाँ तलाशती है आँखें

तन्हाइयों और खामोशियों में
आवाजें तलाशती है आँखें

हर किसी के चेहरे में
तुम्हें तलाशती है आँखें

बंद पड़े उन दरीचों में
अपने तलाशती है आँखें

सूनी हो चुकी गलीयों में
यार तलाशती है आँखें

दम तोडती जिंदगी में
साँसें तलाशती है आँखें

यारों की सूनी महफ़िलों में

"नाशाद" को तलाशती है आँखें


 

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