यादों के दरख़्त अब कितने बड़े हो गए
हकीकतों के साये भी उनसे छोटे हो गए
निगाहों में थे जो हमारे तमाम जिंदगी
एक एक कर वो आसमां के सितारे हो गए
किस किस की याद में आंसू बहायें ऐ खुदा
दरिया की तरह बह अश्क भी सहरा हो गए
जो थे शामिल अभी तक मेरे कारवां में नाशाद
एक एक कर सभी मेरी यादों का हिस्सा हो गए
= नरेश नाशाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें