आवारा दोपहरें
वो तेरी तलाश में सन्नाटों से भरी गलियाँ
उनमे गूंजती पहचानी सी आहटें ,
खामोश लम्हे और
खुद से ही टकराती साँसें ,
पसीने की बूँदें
जैसे चमकते मोती ,
उनमे नज़र आता तेरा चेहरा
हर मोड़ पर तेरा एहसास ,
हर वक़्त "नाशाद" तेरी करीबी का एहसास
अब तक याद है वो अनजान राहें
भूलती है वो आवारा दोपहरें
= नरेश नाशाद