वो कसमें वो वादे और वो ईरादे क्या हुए
वो बुजुर्गों की सीख वो संस्कार क्या हुए
वो माँ की गोद वो पिता का दुलार क्या हुए
वो हर सांस साथ लेने के ख्वाब क्या हुए
वक्त के साथ सब कुछ बदलता है ये माना हमने
वो एक दूजे के लिए हमारे ख्वाब नाशाद क्या हुए
तिनके तिनके बिखरते जा रहे हैं अब परिवार
वो लोगों में हमारे किस्से हमारे करार क्या हुए
वो इक छत में रहे एक पूरा परिवार क्या हुए
वो रिश्ते-नाते, वो सुख-दुःख के साथ क्या हुए
जिन्हें लेकर चले थे हम जिंदगी के सफ़र में साथ
इक इक कर के नाशाद अब हमसे सब जुदा हुए
= नरेश नाशाद
1 टिप्पणी:
तड़फते दिल को दे हवा,दर्द बयां करने को शायद मना लिया है ,यूं तो रोता नहीं दिल,आज जी भर गम के दरिया में डूबने को तेरा साथ दे रहा है |
व्यवहारिक जगत में घटित हो रहे वृतांत का सजीव चित्रण |
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