आराधना
पहाडों के आँचल में ; नदियों की कलकल में
पक्षियों की कलरव में ; तारों की झिलमिल में
पलकों की छाँव में ; सपनों के गाँव में
शहरों की गलियों में ; यादों के बसेरों में
फूलों की कलियों में ; सावन के झूलों में
डायरी के भरे पन्नों में ; धुंधली होती तस्वीरों में
याद आती मुलाकातों में ; भूलती हुई यादों में
कभी जो किए थे वादों में ; अटल हमारे इरादों में
किसी को तलाश है तेरी
लौट आने की आस है तेरी
तुम बिन कोई आज भी अधूरा है
सूना किसी का बसेरा है
हर जगह तुझे कोई तलाशता है
हर दुआ में तुझे कोई मांगता है
हर रोज़ तेरी आराधना करता है
हर रोज़ तेरी तलाश करता है
लोग मुझे तेरी तलाश कहते हैं
लोग तुझे मेरी आराधना कहते हैं
1 टिप्पणी:
आपकी आराधना कि तलाश अवश्य समाप्त होगी...सुंदर अभिव्यक्ति जारी रखें
एक टिप्पणी भेजें