गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

और कुछ याद नहीं 





















तेरी गलीयाँ तेरी महफ़िल
बस और मुझे कुछ याद नहीं
एक बस तू   एक बस मैं
बस और मुझे कुछ याद नहीं

चाहा तुझे और पूजा तुझे
अब  जीवन  मेरा बरबाद  नहीं
चाहे तू मिले या ना मिले
अब खुदा से कोई फ़रियाद नहीं

हकीकत में नहीं तो ख़्वाबों में आ
वर्ना जिंदगी मेरी आबाद नहीं
चाहूं जिसे और मुझे मिल जाए
ना पूरी हुई मेरी कोई मुराद  नहीं

जाकर मांग लूं खुदा से तुझे
हुई ऐसी कोई तरकीब ईजाद नहीं
तेरे इश्क में हम घरबार भुला दें
ऐसे  भी  हम  "नाशाद"  नहीं

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