शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

कभी कभी

दिला बहला है तेरी यादों से तनहाईयों में कभी कभी

किनारों पर भी आकर डूबे हैं सफीने सागर में कभी कभी

सोचा था तेरी गलियों में अब ना आयेंगे हम कभी

फ़िर भी तेरी गलियों से होकर हम गुज़रे हैं कभी कभी

किया था ख़ुद से ये वादा के तुझे भूल जायेंगे हम

फ़िर भी तन्हाई में किया है हमने तुझे याद कभी कभी