शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

तुम बिन सब अधूरा होगा

फिर वो ही चाँद होगा
वो ही सितारों का कारवां होगा
फिर वो ही बहारें होगी
वो ही फूलों का नजारा होगा
सब कुछ होगा मगर फिर भी
तुम बिन सब अधूरा होगा

फिर वो ही गाँव और चौबारा होगा
वो ही पनघट का नजारा होगा
फिर वो ही आपस में बतियाती सहेलीयां होगी
वो खिलखिलाहट और मुस्कानें होगी
सब कुछ होगा मगर फिर भी
एक चेहरा वहाँ नहीं होगा

फिर वो ही पीपल की छाँव होगी
वो ही इंतज़ार होगा
फिर वो ही दोपहर की धूप होगी
वो ही तेरी यादें होगी
सब कुछ होगा मगर फिर भी
जब तू नहीं होगा तो कुछ नहीं होगा

फिर वो ही डायरी होगी
वो ही तेरा नाम होगा
मगर हाथ ना अब उठेंगे
आँखों से अश्कों का इक नया रिश्ता होगा
डूबते दिल को तेरी यादों का सहारा होगा

फिर वो ही महफिले  होगी
वो ही ग़ज़लों का सफ़र होगा
फिर वो ही शमा होगी
मगर इक आवाज ना होगी , जब
नाशाद उस महफ़िल में ना होगा

जब तू ही नहीं होगा तो
नाशाद अब कहाँ होगा
नाशाद कहीं नहीं होगा .......