शनिवार, 12 जून 2010

मैं तोहे पुकारूं  

सांवरे तोरी सुरतिया
ले गयी मोरी निंदिया
ना रहो मोसे दूर
ओ मोरे मन बसिया



बिन तोरे मोहे चैन ना आवे
जागूं सारी रैन मोरा जी घबरावे
दिन कट जावे पर कटे ना रतियाँ
ना रहो मोसे दूर ओ मोरे मन बसिया

कासे कहूँ अब मैं  मन की पीरा
लगूं  मैं बिरहन जैसे श्याम बिन मीरां
नीर बहे नैनों से जैसे कोई नदिया
ना रहो मोसे दूर ओ मोरे मन बसिया

कब से खड़ी राह मैं तोरी निहारूं
पवन संग दे आवाज मैं तोहे पुकारूं
ना आ सको तो भेजो अपनी कोई खबरिया
ना रहो मोसे दूर ओ मोरे मन बसिया