रविवार, 11 अगस्त 2013

हर तरफ तनहाई 
मेरे हिस्से में आई 

तेरी यादों की धूप खिली 
तो मेरी आँख भर आई 

फिर तेरी तस्वीर देखी 
फिर तेरी आवाज़ आई 

ख़ुशी की धूप खिली ही थी 
ग़मों की शाम ढल आई 

भीड़ भरे इस जहाँ में 
नाशाद रहे सहराई 

= नरेश नाशाद 

( सहराई - वीराने में रहनेवाले )