शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

सपनों में आया करो 

जब सामने आते हो तुम
तो शरमा जाती हूँ मैं
साजन, तुम सपनों में आया करो

बहुत कुछ कहना है तुम्हें
तुम्हें देख सब भूल जाती हूँ
तुम सपनों में आया करो

खुद को देखना चाहती हूँ तुम्हारी आंखों में
मिलते ही तुमसे नज़र आंखें झुक जाती है
तुम सपनों में आया करो

थाम कर तुम्हारा हाथ दूर तलक जाना चाहती हूँ मैं
पर ज़माने से घबराती हूँ
तुम सपनों में आया करो

रोजाना मिलने के बहाने अब खोजना मुश्किल है
पर तुम बिन रहना भी अब मुश्किल है
तुम सपनों में आया करो

साजन, तुम सपनों में आया करो