रविवार, 9 मई 2010

यह कविता मेरी मम्मी के चरणों में अर्पित कर रहा हूँ. मेरी मम्मी जिनकी ऑंखें हम तीनों भाईयों के लिए सपने देखती हैं. जिनका दिल हमारे पूरे परिवार के लिए धडकता है. जिनकी मुस्कान हमें हर वक्त हिम्मत दिलाती है और यह कहती है कि जीवन में कभी हार मत स्वीकारना. जीतना ही जीवन है. 
     
              माँ 
इस धरती पर भगवान का रूप है माँ 
जीवन के इस सफ़र में ठंडी छाँव है माँ




  















माँ, दुखों की कड़ी धुप में
शीतलता का एहसास है
माँ, अगर हमारे पास है तो
सारे जहाँ की खुशीयाँ पास है

माँ के आँचल में जैसे
हर फूल की खुशबू है
माँ की गोद में जैसे
हर उलझन का हल है

माँ की मुस्कान में जैसे
खुदा खुद मुस्कुराता है
माँ के दुलार से जैसे
हर चमन में बहार है




















माँ की ममता से जैसे
सारी दुनिया पलती है
माँ की आँखों में जैसे
तीनों लोकों का ज्ञान है

इन आँखों में कभी आंसू ना आए
इन होठों से कभी मुस्कान ना जाए
इस आँचल पर कोई आंच ना आए
चाहे हमसे हर ख़ुशी छिन  जाए
माँ से दूर कभी कोई लाल ना जाए
चाहे सारी दुनिया से साथ छूट जाए