सोमवार, 16 अगस्त 2010

कभी तुम भी थे मेरे अपने 

कभी तुमने भी हमें बहुत चाहा था
कभी हमारा भी रास्ता निहारा था


कभी तुमने भी देखे थे ख्वाब मेरे
कुछ दिन ही सही चले थे साथ मेरे


कभी तुमने भी थामा था हाथ मेरा
कभी तुमने भी संवारा था मुकद्दर मेरा 


कभी तुम भी तड़पते थे मेरी याद में
कभी हम भी शामिल थे तेरी फ़रियाद में 


कभी तुम भी आए थे महफ़िल में मेरे
कभी तुमने भी सराहे थे अशआर मेरे 


कभी तुम भी तो हुए थे मेरे अपने 
अब तो वो रह गए हैं फ़कत सपने 


नाशाद जिनके देखे थे ख्वाब हमने
हकीकत में ना हो सके मेरे अपने