बुधवार, 25 जनवरी 2012

किसी की याद आती रही


मेरी तनहाईयाँ मुझे सताती रही
गुमसुम हवाएं लोरीयाँ सी सुनाती रही
सन्नाटों को चीरती
किसी की याद आती रही

मेरी कलम सफ़ेद कागजों पर
लिख लिखकर कुछ याद दिलाती रही
सूखे हुए लबों पर जैसे
कोई बात आती रही जाती रही
किसी की याद आती रही

बीते हुए पल कभी ना लौटेंगे
ना ही लौटेंगे दूर जानेवाले
दोपहर में तेज हवाएं गली में
जैसे धूल सी उडाती रही
किसी की याद आती रही

सूखे पत्तों की सरसराहट मुझे
किसी की आहट याद दिलाती रही
मेरी ऊँगलियाँ रेत पर जैसे
मेरी किस्मत लिखती रही मिटाती रही
किसी  की याद आती रही