गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मौहब्बत  

मौहब्बत आसां नहीं तो मुश्किल भी नहीं होती है
नाशाद लेकिन ये सबके नसीब में भी नहीं होती है

ख्वाब चाहे जितने भी आप महबूब के देख लो मगर
सभी की किस्मत में ख्वाबों की ताबीर नहीं होती है

जुदाई के बाद मिलन की बात ही कुछ और होती है
सब की किस्मत में लेकिन ऐसी जुदाई नहीं होती है

चाहे कोई लाख छुपाये अपनी मौहब्बत की बात को
आँखों की हया होंठों की मुस्कान से ये बयाँ होती है

ना बातों से ना ही खतों से ये कभी महसूस होती है
ये दिल से दिल की बात है दिल ही से महसूस होती है

चाहे कोई लाख बचाए खुद को मौहब्बत के असर से
नाशाद ये मौहब्बत है एक बार तो होकर ही रहती है