सोमवार, 23 जुलाई 2012


वो कसमें वो वादे  और वो ईरादे क्या हुए 
वो बुजुर्गों की सीख  वो संस्कार क्या हुए 

वो माँ की गोद वो पिता का दुलार क्या हुए
वो हर सांस साथ लेने के ख्वाब क्या हुए 

वक्त के साथ सब कुछ बदलता है ये माना हमने 
वो एक दूजे के लिए हमारे ख्वाब नाशाद क्या हुए  

तिनके तिनके बिखरते जा रहे हैं अब परिवार 
वो लोगों में हमारे किस्से हमारे करार क्या हुए  

वो इक छत में रहे एक पूरा परिवार क्या हुए
वो रिश्ते-नाते, वो सुख-दुःख के साथ क्या हुए 

जिन्हें लेकर चले थे हम जिंदगी के सफ़र में साथ 
इक इक कर के नाशाद अब हमसे सब जुदा हुए
= नरेश नाशाद