गुरुवार, 24 जून 2010

















                                कब आओगे साजना


बदरा बरसे
जियरा तरसे
कब आओगे साजना


सूनी अंखियाँ
सूनी रतियाँ
सुना है घर आंगना


पपीहा बोले
मन मोरा डोले
अब तो आजा साजना


पलकें बिछाए
राह निहारूं
सपनों में भी
मैं तुझे पुकारूं
अब तो सुन ले साजना




ये सावन भी
बीत ना जाए
अपना मिलन फिर
कब हो पाए
एक बार तो मिल जा साजना