सोमवार, 1 मार्च 2010

यादों की धूप 

यादों की तेज धूप में उनकी जुल्फों के साये हैं
इन्ही जुल्फों के साये  कई ज़माने बिताये हैं

जब भी बंद की है पलकें हमने उन्हें ही पाया है
आज भी इस कदर  वो  मेरे दिल  में समाये हैं

जब भी  उदास होकर  हम  छतों  पर लेटे हैं
बादलों के बीच आकर वो हमेशा मुस्कुराए हैं

काली स्याह रातों में हम जब भी राह भटकाए हैं
उनकी रोशन यादों ने राहों के चिराग जलाये है

सावन के भीगे मौसम में जब जब भी बादल छाए हैं
"नाशाद" करके याद उन्हें हमने  खूब आंसू बहाए हैं


  
एक पल ठहर जाओ

चले जाना फिर सदा के लिए
बस एक पल ठहर जाओ

तुम्हारी आँखों में झाँक तो लूं
अपनी किस्मत जान तो लूं
चले जाना फिर सदा के लिए
बस एक पल ठहर जाओ

जिसे कभी तुमने लिया था बड़े प्यार से
मेरे उस नाम को फिर से सुन तो लूं
कभी थामा था मैंने जिसे  जनम जनम के लिए
उस हाथ को एक पल के लिए थाम तो लूं

जिसे तुमने डाला था मेरे सिर पर बड़े प्यार से
उस आंचल में कुछ देर आंसू बहा तो लूं
दिल में बनाई थी मैंने जो तस्वीर तुम्हारी
उस तस्वीर को सदा के लिए मिटा तो लूं

जिनमे बांधा था तुमने मुझे हमेशा के लिए
उन बंधनों को मैं खुद खोल तो लूं
कभी जो तुमने लिखे थे मेरे लिए बड़े प्यार से
उन खतों को मैं आज तुम्हें लौटा तो दूं

कभी जो हमने किये थे जनम जनम साथ निभाने के
उन वादों से आज़ाद आज मैं तुम्हें कर तो दूं
जिसे रखा था अब तक सीने से लगाकर
तुम्हारे उस दिल को तुम्हे लौटा तो दूं

चले जाना फिर सदा के लिए
बस एक पल ठहर जाओ