जिंदगी जैसी जिंदगी
वो जिंदगी ही शायद जिंदगी जैसी लगती थी
हर तरफ ख़ुशी ही ख़ुशी औ रौनकें होती थी
दिन भी थे सुहाने और रातें भी हसीन होती थी
तेरे साथ जब रहगुज़र एक खुशनुमा सफ़र थी
फरिश्तों जैसे लोग थे मौहब्बत सबके दिल में थी
नफरतें जैसे कोई किसी दूसरे जहाँ में बसती थी
तेरी खुशबू से गलीयाँ जैसे गुलज़ार रहती थी
हर महफ़िल तेरी शिरकत से रोशन रहती थी
खयाल हवाओं में उड़ते मंजिलें राहें देखती थी
जुबां खामोश रहती थी निगाहें बात करती थी
बारिशों की बूंदें संगीत स्वर लहरीयाँ लगती थी
सर्दीयों के सन्नाटों से दिलों में हूक सी उठती थी
तुम्हें देखे बगैर हमारी जिंदगी अधूरी लगती थी
नाशाद हर चेहरे में तुम्हारी सूरत ही दिखती थी
गुरुवार, 8 अप्रैल 2010
वो मेरे होते जा रहे हैं
हालात अब हमारे बदलते नज़र आ रहे हैं
धीरे धीरे अब वो मेरे होते जा रहे है
हमें देखते ही उन्हें हम पर आता था गुस्सा
अब हमें देखकर वो धीरे से मुस्कुरा रहे हैं
उन्हें नहीं मालूम था कभी हमारे घर का पता
वो अब हमारी गलीयों की तरफ आ रहे हैं
वो हमें देखते ही कर लेते थे बंद हर दरीचा
वो खड़े अब उन्ही दरीचों में हमें निहार रहे हैं
ना करते थे वो कभी ज़िक्र अपनी महफिलों में
वहां अब वो नाशाद के शेर पढ़े जा रहे हैं
हालात अब हमारे बदलते नज़र आ रहे हैं
धीरे धीरे अब वो मेरे होते जा रहे है
हमें देखते ही उन्हें हम पर आता था गुस्सा
अब हमें देखकर वो धीरे से मुस्कुरा रहे हैं
उन्हें नहीं मालूम था कभी हमारे घर का पता
वो अब हमारी गलीयों की तरफ आ रहे हैं
वो हमें देखते ही कर लेते थे बंद हर दरीचा
वो खड़े अब उन्ही दरीचों में हमें निहार रहे हैं
ना करते थे वो कभी ज़िक्र अपनी महफिलों में
वहां अब वो नाशाद के शेर पढ़े जा रहे हैं
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