शनिवार, 24 अप्रैल 2010

महक गई हवा 


ना जाने किस की याद से महक गई हवा
मेरे आँचल  को  फिर  से  छेड़  गई हवा 


सावन की घटा को जैसे लेकर आती है हवा
पयाम फिर से किसी का लेकर आई है हवा


मैं भी थी गुमसुम   चुपचाप सी थी हवा 
ज़िक्र किसी का आते ही  मचल गई हवा


दिल था खोया खोया और कहीं गुम थी हवा
बेसाख्ता किसी की याद बन बहने लगी हवा


एक गाँव से  दूसरे  गाँव  तू  तो बहती है हवा 
मुझे भी अपने संग पी के गाँव उड़ा ले चल हवा