शुक्रवार, 5 मार्च 2010

काश वक्त वहीँ थम जाता 

काश वक्त वहीँ थम जाता
मैं तेरा हाथ ज़िन्दगी भर थामे खड़ा रहता
तेरे आँचल में सारी उम्र गुजार देता
तेरी आँखों में खुद को बसा लेता
तेरी जुल्फों में खुद को उलझा देता
तेरी मुस्कान पर मैं लुट जाता
तेरी बाहों में सारे गम भुला देता
काश वक्त वहीँ थम जाता

काश वक्त वहीँ थम जाता
तुझे अपने से दूर ना जाने देता
तेरे सारे गम मैं अपना लेता
अपनी सारी खुशीयाँ तुझे दे देता
तेरी राहों में फूल बिछा देता
तुझे अपनी मंजिल बना लेता
काश वक्त वहीँ थम जाता