बुधवार, 16 नवंबर 2011


आवारा दोपहरें 

याद है अभी भी वो आवारा दोपहरें 
तेरी तलाश में वो आवारा दोपहरें 

हर मोड़ पर तेरी राह तकना 
हर आहट में तेरे आने का धोखा होना 
पर अगले ही पल दिल का बैठ जाना 
याद है अभी भी वो आवारा दोपहरें 

वो बेमतलब तेरी गलीयों से गुज़रना
वो तेरे इक नज़ारे के लिए घंटों ठहरना 
तेरी मुस्कान पर सारी थकान भुला देना 
याद है अभी भी वो आवारा दोपहरें 

मुझे याद है अभी भी वो आवारा दोपहरें 
कभी ना भूलेगी वो आवारा दोपहरें 
= नरेश नाशाद