भूली बिसरी यादें
नज़रों में तो था मगर दिल से दूर था
वो मेरा होकर भी कभी मेरा ना था
बे चराग गलियों में उसकी आवाजें तो थी
दरीचों से झाँका मगर गलियों में कोई न था
उसके जाने के बाद दिल तो बहुत रोया
मगर आंखों में उसके एक आंसू ना था
दूर तलक फैले तो थे उसकी यादों के काले साये
मगर धूप का कहीं नाम ओ निशान तक ना था
नज़रों में तो था मगर दिल से दूर था
वो मेरा होकर भी कभी मेरा ना था
बे चराग गलियों में उसकी आवाजें तो थी
दरीचों से झाँका मगर गलियों में कोई न था
उसके जाने के बाद दिल तो बहुत रोया
मगर आंखों में उसके एक आंसू ना था
दूर तलक फैले तो थे उसकी यादों के काले साये
मगर धूप का कहीं नाम ओ निशान तक ना था
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