सोमवार, 2 नवंबर 2009



कोई है मेरे दिल में रहता है 

अक्सर मेरा दिल मुझसे कहता है
कोई है जो मेरे दिल में रहता है 

वो मेरी हर धड़कन में धड़कता है 
वो मेरी हर सांस में महकता है 
वो मेरी हर ख़ुशी में मुस्कुराता है 
वो मेरे हर ग़म में साथ रहता है 
कोई है जो मेरे दिल में रहता है 



वो मेरे सपनों में बसता है
वो मेरी नींदों में सोता है
वो मेरी पलकों में सजता है 
वो धुप में छाँव बना रहता है 
वो मेरी बातों में बोलता है 
वो साया बन मेरे साथ रहता है 
वो हर दोराहे पर राह दिखाता है 

वो मेरे करीब; बहुत करीब  रहकर भी 
वो मुझसे दूर रहता है 
कोई है जो मेरे दिल में रहता है 

1 टिप्पणी:

V Singh ने कहा…

Nareshji; Aapke PAPA ke asaamayik dehaant se mujhe bahut dukh hua hai. Aapki rachanayen ye saaf batati hai ki aap unke kitney kareeb they. Prabhi har janam mein unhe aapka PAPA banaye; yehi meri prarthna hai. Mere paas shabd nahin hai unhe shraddhanjli k liye. Aapki kavita padhkar hi main apni shraddhanjali de raha hoon