किसी की गलियों में गुज़ारा वो जमाना याद आता है
किसी खिड़की का खुलना और किसी का झांकना याद आता है
किसी के साथ वो बंधन अनजाना अब बहुत याद आता है
किसी का रोज वादा करना और ना निभाना याद आता है
किसी का मिलकर और बहाना बनाना बहुत याद आता है
किसी का दूर तलक मेरे साथ चलना बहुत याद आता है
किसी का हर बात पर हंसना और शरमाना याद आता है
किसी को याद करना और उसका सामने आना याद आता है
किसी का अलविदा कहना मुझे अब भी बहुत याद आता है
किसी का भूला हुआ चेहरा अब भी बहुत याद आता है
किसी का हर बात पर हंसना और शरमाना याद आता है
किसी को याद करना और उसका सामने आना याद आता है
किसी का अलविदा कहना मुझे अब भी बहुत याद आता है
किसी का भूला हुआ चेहरा अब भी बहुत याद आता है
1 टिप्पणी:
shandar kya bat hai naresh ji
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