ये ना जाने कोई
कितना लम्बा ये सफ़र है
ये ना जाने कोई
कहाँ तक अब ये डगर है
ये ना जाने कोई
कौन देखेगा कल की सहर
ये ना जाने कोई
किसकी है ये आखिरी शब
ये ना जाने कोई
कब तक हवाएं साथ है
ये ना जाने कोई
कब तक सूरज में आग है
ये ना जाने कोई
कब तक चाँद में शीतलता है
ये ना जाने कोई
कब तक सितारों का कारवाँ है
ये ना जाने कोई
कब तक कदमों की चाल है
ये ना जाने कोई
कब तक सभी को ये आस है
ये ना जाने कोई
कब तक हम यहाँ है
ये ना जाने कोई
कब तक ये जहां है
ये ना जाने कोई
कब तक दुआओं में असर है
ये ना जाने कोई
कब तक उसकी हम पर नज़र है
ये ना जाने कोई
बुधवार, 24 मार्च 2010
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