रविवार, 28 मार्च 2010

तुम अच्छे लगते हो 

तुम अच्छे लगते हो
मुझे तुम अच्छे लगते हो

जब भी मुस्कुराते हो तो
और भी अच्छे लगते हो

जब भी रूठ जाते हो तो
बहुत अच्छे लगते हो

जब भी गुस्साते हो तो
बहुत ही अच्छे लगते हो

लेकिन जब भी शर्माते हो तो
सबसे अच्छे लगते हो

तुम अच्छे लगते हो
मुझे तुम अच्छे लगते हो




4 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

तुम अच्छे लगते हो
मुझे तुम अच्छे लगते हो

जब भी मुस्कुराते हो तो
और भी अच्छे लगते हो


इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

V Singh ने कहा…

saral aur chote shabdon wali rachna. Kitni sundar ban padi hai! Mere paas shabd nahi hai. Soch kar likhunga; aakhir tareef bhi to achche shabdo me honi chahiye bhaisaahb

manjul ramdeo ने कहा…

choti si par bahut hi sundar rachna h....
aapki har kavita ke saath pictures bahut aachi rahti h
very gud choice....

Unknown ने कहा…

अगर यह बात एक लडकी एक लड़के से कहे कि

जब भी शर्माते हो तो सबसे अच्छे लगते हो

ऐसा प्रेम होना चाहिये . बिलकुल राधा कृष्ण जैसा .अति उत्तम .बहुत ही सुन्दर
एक मासूम प्रेम कथा का अभिन्न अंग लग रही है आपकी यह कविता