प्यार जगा गया कोई
ख़्वाबों में आकर
नींदों से जगाकर
दुनिया बदल गया कोई
प्यार जगा गया कोई
सपने दिखाकर
कसमें खाकर
नई दुनिया दिखा गया कोई
प्यार जगा गया कोई
दिल को बहलाकर
मुझे अपना बनाकर
संग अपने ले गया कोई
प्यार जगा गया कोई
सोमवार, 5 अप्रैल 2010
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5 टिप्पणियां:
अपना बना गया कोई . वाह वाह . क्या कहने भाईसाहब !! मजा आ गया आज तो. एक विशुद्धे भारतीय युवती का प्रेम हो जाने पर यही कहना होता है. अंत में यह कहना की संग अपने ले गया कोई और भी जानदार लगता है.
बहुत छोटी लेकिन उतनी ही वजन वाली कविता. एक एक शब्द सुहावना और मधुर है. बहुत ही साफ़ सुथरी अभिव्यक्ति है एक प्रेमिका की. इतने सीधे शब्द . नरेशजी; बहुत सारी बधाइयां
बहुत ही मनभावन गीत लिखा है आपने. शब्दों को गीत में ढलना तो कोई आपसे सीखे. भाषा का प्रवाह बहुत अच्छा बन पड़ा है. आपने जितने भी ऐसे छोटे गीत लिखे हैं वे सारे के सारे बहुत ही अच्छे लगे हैं. हार्दिक शुभकामनाएं.
पुरी की पुरी कविता ज़बरदस्त है. एक एक शब्द हसीन पल कि याद दिलाता है. कभी काश्मीर कि वादियों में फिल्मों में ऐसे ही गाने फिल्माए जाते थे. आपने उसी ज़माने की याद दिला दी.
मैंने अब तक जितना भी आपका लिखा हुआ पढ़ा मुझे ये सबसे अच्छा लगा. छोटा सा लेकिन बहुत ही प्यारा गीत. गुनगुनाने को जी चाहता है.आने वाले समय के लिए आपको बहुत बहुत सारी बधाईयाँ .
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