ये तुम मुझे कहाँ ले आये
हवाओं में उडती जा रही हूँ मैं
सपनों में खोती जा रही हूँ मैं
एक कदम यहाँ तो
एक कदम वहां जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
दिल में उठ रही ये कैसी उमंग है
बदन में दौड़ रही ये कैसी तरंग है
मेरे हाथों से आँचल क्यूँ
आज फिसल फिसल जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
दूर कहीं दूर जाने को जी चाहता है
सब कुछ भुलाने को जी चाहता है
ना जाने क्यूँ मेरा दिल
संभले फिर बहक बहक जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
हवाओं में ना जाने ये कैसी महक है
नजारों में ना जाने ये कैसी चमक है
यूँ ना मुस्कुराओ तुम
कदम ना कहीं बहक जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
इन राहों में ना अकेली छोड़ जाना
दूर बहुत दूर अब हमसे है ज़माना
ना जाने क्यूँ मेरा दिल आज
रह रह कर घबराये
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
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6 टिप्पणियां:
हवाओं में उडती जा रही हूँ मैं
सपनों में खोती जा रही हूँ मैं
एक कदम यहाँ तो
एक कदम वहां जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
सबसे पहला हिस्सा सबसे अच्छा है .
प्रवाह वाला प्रेम गीत है.
ये किसी भी एक साफ़ सुथरी हिंदी प्रेम कहानी वाली फिल्म का अभिन्न गीत लग रहा है. सच कहूँ मुझे सिलसिला फिल्म का ये कहाँ आ गए हम गाना याद आ गया. बहुत अच्छा लगा.
दूर कहीं दूर जाने को जी चाहता है
सब कुछ भुलाने को जी चाहता है
कितना अच्छा अंतरा है. बहुत बधाई नरेशजी
हवाओं में उडती जा रही हूँ मैं
सपनों में खोती जा रही हूँ मैं
एक कदम यहाँ तो
एक कदम वहां जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
Pahli baar aapke blogpe aayi..kya gazab likhte hain aap..gungunate hue padha!
हवाओं में उडती जा रही हूँ मैं
सपनों में खोती जा रही हूँ मैं
bahut sundar aur komal ehsaas
prem bhaav men doobi achhi rachna
aabhaar
नाशाद साहब, आप तो आसान शब्दों से भी कविता / ग़ज़ल में जान डाल देते हो. यहाँ माशूका ने कितनी मासूमियत से अपने महबूब को कहा है -
इन राहों में ना अकेली छोड़ जाना
दूर बहुत दूर अब हमसे है ज़माना
ना जाने क्यूँ मेरा दिल आज
रह रह कर घबराये
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
खुदा आपको हमेशा ऐसे ही ख़याल बख्शे . अपनी बादशाहत में हमें शामिल कर लें . बस और क्या लिखूं. मर हवा मर हवा
इस कविता को पढ़कर ऐसा लगा जैसे मैं पहाड़ों में हूँ ; बादल छाए हैं और बारिशें हो रही है. इसे गाते हुए पढने को जी चाहता है. भौत सोंणा गीत है . शब्द इतने अच्छे और रोजाना बोले जानेवाले कि ऐसा लगे पहले भी इसे कहीं पढ़ा है.
ैं
एक कदम यहाँ तो
एक कदम वहां जाए
ये तुम मुझे कहाँ ले आये
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