कैसे आते हो तुम मेरे ख्वाबों में
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे बस गए हो तुम मेरे दिल में
ना तुम जानो ना मैं जानू
किस तरह बंध गया ये बंधन
ना तुम जानो ना मैं जानू
किस तरह हम हार गए दिल
ना तुम जानो ना मैं जानू
किस तरह मिल गई निगाहें
ना तुम जानो ना मैं जानू
किस तरह मिल गई दो राहें
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे थामा मैंने तेरा आँचल
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे माना तुमने मुझे साजन
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे धूप लगने लगी है छाँव
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे हिज्र भी लगने लगा मिलन
ना तुम जानो ना मैं जानू
7 टिप्पणियां:
बहुत खूब ......!!
मत पूछ के तेरा इन्तजार kitna है
तेरा ही अक्स है in हवाओं में
तू ही है इन फ़िजाओं में ......
पहली नज़र में हुई मौहब्बत का गीत है. बहुत ही सुन्दर लय है शब्दों में. एक और बेहद सुन्दर प्रेम गीत.
कितना अच्छा गीत बन गया है ये. आप है ना ऐसे ही गीत लिखा करो. आप ग़ज़लों में दिल को बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देते हो. वैसे हर मूड का पढना चाहिये. आपको बहुत बहुत शुभ कामनाएं.
एक तरफ है ग़मों का दरिया
दूसरी तरफ खुशीयों का नज़ारा
क्या बात है .पहलगाम की वादीयों में शम्मी कपूर और आशा पारेख ये गाना गा रहे हैं ऐसा लग रहा है.
कैसे थामा मैंने तेरा आँचल
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे माना तुमने मुझे साजन
ना तुम जानो ना मैं जानू
बहुत सुन्दर और मनभावन प्रेमगीत.
बहुत सुन्दर और मनभावन प्रेमगीत.
कैसे थामा मैंने तेरा आँचल
ना तुम जानो ना मैं जानू
कैसे माना तुमने मुझे साजन
ना तुम जानो ना मैं जानू
सिकंदर साहब ने बहुत सही लिखा है की काश्मीर की वादियों में जैसे कोई गाना फिल्माया जा रहा हो. ये गीत तो बहुत अच्छा बन पड़ा है. बधाई नरेशजी.
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