मंगलवार, 4 मई 2010

ढूंढता हूँ 

हो मंजिलें ही मंजिलें
ऐसा सफ़र ढूंढता हूँ
जो चले हर जनम साथ
ऐसा हमसफ़र ढूंढता हूँ

जहाँ खुशीयाँ बसती हो
ऐसा  शहर  ढूंढता हूँ
जहाँ इंसान बसते हो
ऐसा जहां ढूंढता हूँ

जिसमे बहारें ही बहारें हो
ऐसा मौसम ढूंढता हूँ
जिससे हर कोई झूम जाए
ऐसी खुशीयाँ ढूँढता हूँ

जो कर दे दिल को घायल
ऐसी नज़र ढूंढता हूँ
जिस पर खुद को वार दूँ
ऐसी मुस्कान ढूंढता हूँ

बिन पिए ही आ जाए नशा
ऐसी मय ढूंढता हूँ
जिस पर हर परवाना जल मरे
वो शम्मां ढूंढता हूँ

जो सारे जहाँ पर बरसे
ऐसा सावन ढूंढता हूँ
जिस पर दुनिया है कायम
वो उम्मीद ढूंढता हूँ

नामुमकिन है फिर भी
मैं ज़िन्दगी ढूंढता हूँ
आज तक जो मिला नहीं
मैं उस खुदा को ढूंढता हूँ

20 टिप्‍पणियां:

PRAN SHARMA ने कहा…

BHAVAABHIVYAKTI SUNDAR AUR SAHAJ
HAI.BADHAAEE.

Unknown ने कहा…

जो कर दे दिल को घायल
ऐसी नज़र ढूंढता हूँ
जिस पर खुद को वार दूँ
ऐसी मुस्कान ढूंढता हूँ

जवाब नहीं नरेशजी आपका. क्या खूब लिखा है आपने !

Unknown ने कहा…

नामुमकिन है फिर भी
मैं ज़िन्दगी ढूंढता हूँ
आज तक जो मिला नहीं
मैं उस खुदा को ढूंढता हूँ
यादों के झरोखों से नाशाद साहब, हकीकतें बयान करने में आपका कोई सानी नहीं है. सच है खुदा नहीं मिलता लेकिन ये भी सच है कि वो हम में ही बसता है. बहुत उम्दा ग़ज़ल.

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub

संजय भास्‍कर ने कहा…

क्या खूब लिखा है आपने !

हरमहिंदर चहल ने कहा…

आपकी कविताओं में मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति मिलती है।
-हरमहिंदर चहल

R.Venukumar ने कहा…

नामुमकिन है फिर भी
मैं ज़िन्दगी ढूंढता हूँ
आज तक जो मिला नहीं
मैं उस खुदा को ढूंढता हूँ

नामुमकिन को ढूंढना ही सच्ची खोज है। क्या पता कोई नायाब चीज़ निकल आए।
बहुत सुन्दर विचार।

Unknown ने कहा…

काफी अच्छी ग़ज़ल है. आजकल हम सभी जिंदगी को ही तो खोज रहे हैं.

Unknown ने कहा…

बहुत उम्दा ग़ज़ल

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

an excellent, you may find early this good very depth emotions

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

an excellent...

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

an excellent...

Unknown ने कहा…

शुभ-प्रभात सर. आपका ब्लॉग देखा और पहली बार देखते ही ऐसा लगा जैसे सारी की सारी गज़लने पढ़ लूँ औए कवितायें गुनगुनाऊँ. बहुत सुन्फ्दर है सभी की सभी. एक से बढ़कर एक. कितना सुन्दर लिखते हैं आप सर.

Unknown ने कहा…

कितनी सुन्दर ग़ज़ल है !! मन में उठने वाली भावनाओं को आपने बहुत सुन्दरता के साथ शब्दों में ढाल दिया है

Dyna Bohra ने कहा…

Hi Naresh. What a coincidence!!!!
My husband's name is also Naresh Bohra. He is also from Jodhpur. He loves reading and I am having my own band called Drums and Dance. He just pointed out your blog to me, We are happily married since last 10 years. I can read and understad hindi very wel now. I M learning ti write hindi. All your creations are excellent.

Sayani Vyas ने कहा…

जो सारे जहाँ पर बरसे
ऐसा सावन ढूंढता हूँ
जिस पर दुनिया है कायम
वो उम्मीद ढूंढता हूँ
नरेश भैय्या , प्रणाम. आज मैं अपनी एक सहेली का ब्लॉग देख रही थी कि उस पर आप की टिप्पणी देखकर आपके ब्लॉग पर चली आई. एक से एक शानदार गज़लें और गीत पढने के लिए मिले. बहुत अच्छा लगा. अब मैं आपके ब्लॉग का अनुसरण करुँगी और नियमित रूप से आपकी रचनाएँ पढूंगी. बहुत बहुत बधाई नरेश भैया आपकी इतनी अच्छी लेखनी के लिए.

Neelima Kothari ने कहा…

बहुत ही शानदार गीत है. ज़िन्दगी जीने का एक यही जोश और चाहत होनी चाहिये. बहुत खूब.

हो मंजिलें ही मंजिलें
ऐसा सफ़र ढूंढता हूँ

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

इन्श' अल्लाह, आपको आपकी मंजिल ज़रूर मिलेगी....
खूबसूरत!

Rameshwar Prasad ने कहा…

आपकी लिखने की भावना बहुत प्रबल है. आपकी रचनाओं से यह बात स्पष्ट रूप दिख जाती है. शब्दों का जाल ऐसा बीच जाता है कि मेरे जैसा हिंदी का शिक्षक भी तमाम तरह की त्रुटियों को नजरअंदाज कर यह लिखने पर मजबूर हो रहा है कि नरेशजी आप इसी तरह लिखते रहीये.