मंगलवार, 11 मई 2010






     
















                  मैं

मैं हूँ खुशबू ,हवाओं में बिखर जाऊँगा
मैं हूँ ख्वाब ,तेरी आंखों में बस जाऊँगा

मैं ग़ज़ल हूँ ,तेरी किताबों में लिखा जाऊँगा
दास्ताँ-ऐ-इश्क हूँ तेरी ; हर महफिल में सुना जाऊँगा

मैं हूँ सफर, तेरी राह बन जाऊँगा
देखना, किसी दिन तेरा बन जाऊँगा

मैं तलाश हूँ ,तेरी मंजिल बन जाऊंगा
ना भुला सकोगे मुझे, तेरी यादों में बस जाऊँगा

10 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

मैं हूँ सफर, तेरी राह बन जाऊँगा
देखना, किसी दिन तेरा बन जाऊँगा

बेहद खुबसूरत. मुझे बहुत बहुत पसंद आया. क्या लिखा है आपने !!!

Sunanda Sharma ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल. बहुत बधाई नाशादजी.

Unknown ने कहा…

ये है ना बहुत ही प्यारी ग़ज़ल है. किसी को भी पसंद आ जाए ऐसे शेर है.

Unknown ने कहा…

बहुत ही मौहब्बत से लिखी गई ग़ज़ल. हर शेर संग्रहणीय है.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

Unknown ने कहा…

कमाल की ग़ज़ल है नरेशजी. अतिसुन्दर.

मैं तलाश हूँ ,तेरी मंजिल बन जाऊंगा
ना भुला सकोगे मुझे, तेरी यादों में बस जाऊँगा

Unknown ने कहा…

नाशाद साहब,हर एक शेर में जबरदस्त ताकत है. मुबारकबाद क़ुबूल करें.

Unknown ने कहा…

भैय्या, क्या लिखा है आपने ! बहुत बहुत अच्छी लगी. प्रत्येक शेर जानदार है.

मैं ग़ज़ल हूँ ,तेरी किताबों में लिखा जाऊँगा
दास्ताँ-ऐ-इश्क हूँ तेरी ; हर महफिल में सुना जाऊँगा

Unknown ने कहा…

मैं ग़ज़ल हूँ ,तेरी किताबों में लिखा जाऊँगादास्ताँ-ऐ-इश्क हूँ तेरी ; हर महफिल में सुना जाऊँगा

Ra ने कहा…

मैं ग़ज़ल हूँ ,तेरी किताबों में लिखा जाऊँगा
दास्ताँ-ऐ-इश्क हूँ तेरी ; हर महफिल में सुना जाऊँगा

गज़ब की प्रस्तुति .....मान गए हम तो....पंक्तिया चुनने का मतलब यह ना समझे ,,,बाकी ग़ज़ल में कुछ नहीं .....हर शेर ..कुछ कहता हुआ