शुक्रवार, 4 जून 2010
मौहब्बत ये क्या रंग लाई है देखो
मौहब्बत ये क्या रंग लाई है देखो
हर सिम्त तुम ही नज़र आते हो देखो
ख़त तो लिखा था हमने तुम्हे मगर
लिफाफे पर अपना ही पता लिख दिया है देखो
तुम्हारे चेहरे से नज़र नहीं हटती मगर
अब तुम्हारी तस्वीर से शरमा रही हूँ देखो
हर वक्त जुबां पर रहता था नाम तुम्हारा मगर
अब कहते हुए तुम्हारा नाम जुबां काँप रही है देखो
हर रोज़ तेरा नाम ऊंगलीयाँ लिखती थी मगर
अब लिखते हुए नाम तुम्हारा ऊंगलीयाँ काँप रही है देखो
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13 टिप्पणियां:
wah wah
nice
बड़ा अच्छा गीत लिखा है आपने.
ऐसे ही गीत का तो मैं इंतज़ार कर रही थी. बहुत अच्छा लगा इस गीत को पढ़कर. बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद.
तुम्हारे चेहरे से नज़र नहीं हटती मगर
अब तुम्हारी तस्वीर से शरमा रही हूँ देखो
कितना हसीन ख़याल है. बेहद सुन्दर
अत्यंत ही मनमोहक गीत.
शब्दों में एक लय नजर आता है. अच्छी रचना है.
ख़त तो लिखा था हमने तुम्हे मगर
लिफाफे पर अपना ही पता लिख दिया है देखो
Shayed hum tum mein kho gaye hain
aur tum bas mere ho gaye ho....
Achaa likha hai...
अच्छी कविता है. सरल और सुन्दर भाषा . बधाई.
मनभावन रचना है. आपकी चिरपरिचित शैली वाला गीत.
बहुत खूब सर जी !
सरल और सुन्दर भाषा . बधाई.
कितना हसीन ख़याल है. बेहद सुन्दर
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